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मन के मुलायम -11-Oct-2022

कविता -मन के मुलायम 

चल कर अपने जीवन पथ पर 
बदला समाज अपने बल पर 
निज प्यार लुटाया कर भरकर 
की राजनीति खूब चढ़ बढ़कर 
             अर्पित है सुमन तमाम तुम्हें, 
             शत्-शत् नमन प्रणाम तुम्हें। 

साहित्य आपको प्यारा था 
शिक्षक  बहुत  दुलारा  था 
जन प्यार आपका न्यारा था 
जन  धरती- पुत्र  पुकारा था 
            मिले  स्वर्ग  विश्राम  तुम्हें, 
            शत्-शत् नमन प्रणाम तुम्हें। 


बादल भी रोए आज सभी 
धरती भीगी भीगी सी लगी 
सूरज समेट कर गया तभी 
थम रहे न आंसू आज अभी
          दे दूं जीवन आयाम तुम्हें 
          शत्-शत् नमन प्रणाम तुम्हें। 

आह ! वेदना मिली विदाई 
भारत में दु:ख की गम छाई 
पीड़ा  भरी घड़ी अब आई 
छोड़  चले  संसार  भलाई
            ईश्वर! दें सुन्दर धाम तुम्हें 
            शत्-शत् नमन प्रणाम तुम्हें। 

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी,अम्बेडकरनगर- यू पी 

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7 Comments

Suryansh

14-Oct-2022 08:43 PM

Woow,,, बहुत ही शानदार और भावनात्मक रचना

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Gunjan Kamal

12-Oct-2022 11:41 AM

बहुत खूब

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Abhinav ji

12-Oct-2022 08:19 AM

Very nice

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